समाज विकणार नाही लिरिक्स | Samaj Viknar Nahi Lyrics
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मराठी लिरिक्स
नाही कधीच पटणार नाही, ही मनधरणी चतुराई
बोले ठासून भीम त्या ठायी, जावा जमायचं आपलं नाही
जावा जमायचं आपलं नाही
अशा दीड दमडीच्या पायी, माझा समाज विकणार नाही
शोधियले मी कित्येक धर्मस्थान
परी दिसले ना आमचे कुठे कल्याण
नको ही आता शाश्वती आणि
नको ही तुमची ग्वाही
आता नको ही तुमची ग्वाही
पाय उचलील तर करीन किल्ला सर हा
जर ना झाला तर मरेल आंबेडकर हा
अन् जगलो तर दावील जगाला
करून पर्वत राई
अन् करून पर्वत राई
मी पाहिले चाळूनी धर्मग्रंथ
त्यात आढळलाय बुद्धाचा एकच पंथ
त्या मार्गाने काशीनंदा
मुक्ती मिळे लवलाही
आता मुक्ती मिळे लवलाही
अशा दीड दमडीच्या पायी, माझा समाज विकणार नाही
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