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॥ श्री दत्तात्रेययांची आरती ॥
आरती ओवाळू गुरुसी l ब्रह्मा विष्णु महेशासी ll ध्रु.ll
दिधले आत्मदान जगति l म्हणवुनि श्रीदत्त तुज म्हणती ll
ब्रह्मारूपे जग सृजसी l विष्णू तूचि प्रतिपाळिसी l
हर हरिसी भार उतरविसी l पार देऊनी आत्मज्ञान प्रणती l
किती तव स्मरणे जगी तरती ll १ ll आरती ओवाळू श्रीगुरूसी
निर्गुण चित्धन वस्तुसी l अत्नीअनसूयात्मज म्हणती l
लीला दावूनी उध्दरसी l मानवदेहा जरी धरिसी l
परि नससि देह, हाचि संदेह l हृदयी असूनि ही मूर्ती l
जाणीव लोपली अंधमती ll २ ll आरती ओवाळू श्रीगुरूसी
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